Monday, September 13, 2010

काल सर्प दोष


कितने प्रकार के होते हैं काल सर्प दोष (Types of Kal sarpa Dosh) कालसर्प योग के नाम (Types of Kal sarpa Dosh)


ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक भाव के लिए अलग अलग कालसर्प योग के नाम दिये गये हैं. इन काल सर्प योगों के प्रभाव में भी काफी कुछ अंतर पाया जाता है जैसे प्रथम भाव में कालसर्प योग होने पर अनन्त काल सर्प योग बनता है.
अनन्त कालसर्प योग
(Anant KalsarpaDosh)


जब प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है तब यह योग बनता है. इस योग से प्रभावित होने पर व्यक्ति को शारीरिक और, मानसिक परेशानी उठानी पड़ती है साथ ही सरकारी व अदालती मामलों में उलझना पड़ता है. इस योग में अच्छी बात यह है कि इससे प्रभावित व्यक्ति साहसी, निडर, स्वतंत्र विचारों वाला एवं स्वाभिमानी होता है. कुलिक काल सर्प योग
(Kulik Kalsarpa Dosh)


द्वितीय भाव में जब राहु होता है और आठवें घर में केतु तब कुलिक नामक कालसर्प योग बनता है. इस कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक काष्ट भोगना होता है. इनकी पारिवारिक स्थिति भी संघर्षमय और कलह पूर्ण होती है. सामाजिक तौर पर भी इनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहती. वासुकि कालसर्प योग
(Vasuki Kalsarp Dosh)


जन्म कुण्डली में जब तृतीय भाव में राहु होता है और नवम भाव में केतु तब वासुकि कालसर्प योग बनता है. इस कालसर्प योग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का जीवन संघर्षमय रहता है और नौकरी व्यवसाय में परेशानी बनी रहती है. इन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है व परिजनों एवं मित्रों से धोखा मिलने की संभावना रहती है. शंखपाल कालसर्प योग


(Shankhpal Kalsarp Yoga) राहु जब कुण्डली में चतुर्थ स्थान पर हो और केतु दशम भाव में तब यह योग बनता है. इस कालसर्प से पीड़ित होने पर व्यक्ति को आंर्थिक तंगी का सामना करना होता है. इन्हें मानसिक तनाव का सामना करना होता है. इन्हें अपनी मां, ज़मीन, परिजनों के मामले में कष्ट भोगना होता है. पद्म कालसर्प योग
(Padma Kalsarp Dosh)


पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु होने पर यह कालसर्प योग बनता है. इस योग में व्यक्ति को अपयश मिलने की संभावना रहती है. व्यक्ति को यौन रोग के कारण संतान सुख मिलना कठिन होता है. उच्च शिक्षा में बाधा, धन लाभ में रूकावट व वृद्धावस्था में सन्यास की प्रवृत होने भी इस योग का प्रभाव होता है. महापद्म कालसर्प योग
(Mahapadma Kalsarp Dosh)


जिस व्यक्ति की कुण्डली में छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु होता है वह महापद्म कालसर्प योग से प्रभावित होता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति मामा की ओर से कष्ट पाता है एवं निराशा के कारण व्यस्नों का शिकार हो जाता है. इन्हें काफी समय तक शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है. प्रेम के ममलें में ये दुर्भाग्यशाली होते हैं. तक्षक कालसर्प योग
(Takshak Kalsarp Dosh)


तक्षक कालसर्प योग की स्थिति अनन्त कालसर्प योग के ठीक विपरीत होती है. इस योग में केतु लग्न में होता है और राहु सप्तम में. इस योग में वैवाहिक जीवन में अशांति रहती है. कारोबार में साझेदारी लाभप्रद नहीं होती और मानसिक परेशानी देती है.शंखचूड़ कालसर्प योग
(Shankhchooda Kalsarp Dosh)


तृतीय भाव में केतु और नवम भाव में राहु होने पर यह योग बनता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति जीवन में सुखों को भोग नहीं पाता है. इन्हें पिता का सुख नहीं मिलता है. इन्हें अपने कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है. घातक कालसर्प योग
(Ghatak Kalsarp Dosh)
कुण्डली के चतुर्थ भाव में केतु और दशम भाव में राहु के होने से घातक कालसर्प योग बनता है. इस योग से गृहस्थी में कलह और अशांति बनी रहती है. नौकरी एवं रोजगार के क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना होता है. विषधर कालसर्प योग
(Vishdhar Kalsarp Dosh)


केतु जब पंचम भाव में होता है और राहु एकादश में तब यह योग बनता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को अपनी संतान से कष्ट होता है. इन्हें नेत्र एवं हृदय में परेशानियों का सामना करना होता है. इनकी स्मरण शक्ति अच्छी नहीं होती. उच्च शिक्षा में रूकावट एवं सामाजिक मान प्रतिष्ठा में कमी भी इस योग के लक्षण हैं. शेषनाग कालसर्प योग
(Sheshnag Kalsarp Dosh)


व्यक्ति की कुण्डली में जब छठे भाव में केतु आता है तथा बारहवें स्थान पर राहु तब यह योग बनता है. इस योग में व्यक्ति के कई गुप्त शत्रु होते हैं जो इनके विरूद्ध षड्यंत्र करते हैं. इन्हें अदालती मामलो में उलझना पड़ता है. मानसिक अशांति और बदनामी भी इस योग में सहनी पड़ती है. इस योग में एक अच्छी बात यह है कि मृत्यु के बाद इनकी ख्याति फैलती है. अगर आपकी कुण्डली में है तो इसके लिए अधिक परेशान होने की आवश्यक्ता नहीं है. काल सर्प योग के साथ कुण्डली में उपस्थित अन्य ग्रहों के योग का भी काफी महत्व होता है. आपकी कुण्डली में मौजूद अन्य ग्रह योग उत्तम हैं तो संभव है कि आपको इसका दुखद प्रभाव अधिक नहीं भोगना पड़े और आपके साथ सब कुछ अच्छा हो.


KETU IN 12TH HOUSES


list below a selected 'effects' of Ketu in various houses among many:

In the first house (lagna): The person will talk irresponsibly - selfish greedy - worried on account of children - disturbed marital life - bestows wealth - lack of self confidence - poor health - (with support of of associated Planet owning angle/triangular house) confer power - (with Maraka owner) destroy wealth - cause longevity concern in major and sub periods.


In the second house : Eye troubles - dependence on others - no good relations with one or more important members of near in family - may talk rough and rude and spoil future life - in aspect of lord of 5th and 9th to give long life - prosperity - if placed here with owner of 2nd or 7th house, could end life in its major or sub-period.

In the third house : pain in arms and shoulders - a bad Ketu here is good for father - a strong physical constitution - success and happiness to spouse suddenly - wealthy - comfortable - when associated here with 2nd or 7th owner (maraka) could destroy hard earned health.

In the fourth house : Gives journey/life abroad - capable of killing mother - thinking will be polluted - adverse finance conditions - accident and violent incidents - angry disposition - associated with a Planet in this house would confer power with authority in major and sub periods - in association with maraka will destroy wealth.

In the fifth house : Mental disturbance to lose balance of decisions - diseases of stomach and injuries - unfortunate in many events - devotional approach to religion - a powerful Mercury, in association, could bring a windfall of fortune and comfort through speculation - natives father will be benefited.

In the sixth house : Makes native bold and expressive - inherently bad in nature and acts - troublesome - unpopular in society - frequently falling sick - may not have happy years - badly placed Ketu brings theft, defeat,disease in major and sub periods - disease in rectum/teeth.

In the seventh house : irritable life partner - separation in marital life - humiliations from opposite sex - if Ketu associated with a Planet here, owner of angle/triangle of Lagna will confer long life and all round prosperity - the opposite will be the result if positioned with lords of sixth, eighth or twelfth house.

In the eighth house: Sorrow and separation with spouse or partner in business - distress and death - will fall sick - could be a thief or a person involving evil sexual connections - adverse influence in otherwise favorable Dasha periods - religious and mystic to cause family irritations - super sensory experiences - attempting to gain super natural powers - land in social and law objectionable acts.

In the ninth house : Incur wrath of parents or elders - irritable or rash - suffer poverty - cause severe death prone ailments - if with Jupiter, one will be learned - if with mercury, one will be prolific writer - unless adverse in this house, Ketu is generally good here.

In the tenth house : Failed endeavours, loss of honor - will go abroad - beneficial Planet in this house - eye problems leading to surgical intervention - mother's health will be of anxious concern - accident/operation/ violent death are imminent under certain specified conditions.
In the eleventh house : The native will be frugal and successful - could gain power and position concern /worries on sisters and brothers with surmounting problems.

In the twelfth house : Increases expenditure more than income/assets - if with the owner of 12th house, occupies this house with Ketu religious - he would look for emancipation - constant sickness and medication may be necessary all life - very helpful in natured - could live abroad or far away from near siblings - disturbed mind - burdened life in solving problems of near and dear.